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'''कवि-'''
'''कवि–'''
:भाषामा उपदेश लेखिदिनाले स्वयं बुढो देश ।
:भाषामा उपदेश लेखिदिनाले स्वयं बुढो देश ।
:लिन सक्तछ शुभ शिक्षा मागनुपर्दैन अन्त गै भिक्षा ॥
:लिन सक्तछ शुभ शिक्षा मागनुपर्दैन अन्त गै भिक्षा ॥


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'''कविता-'''
'''कविता–'''
:गर झगडा सब माफ, बल्ल सुनायौ मिठा कुरा साफ ।
:गर झगडा सब माफ, बल्ल सुनायौ मिठा कुरा साफ ।
:देश सुधारन भाषा कुञ्जि छ यो काखमा खासा ॥
:देश सुधारन भाषा कुञ्जि छ यो काखमा खासा ॥


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'''कवि-'''
'''कवि–'''
:भाषाका गुणधारा मालुम मनमा छँंदाछँदै सारा ।
:भाषाका गुणधारा मालुम मनमा छँंदाछँदै सारा ।
:किन तिमी येतिञ्जेल थापि-रहेकी ठुलो झेल ॥
:किन तिमी येतिञ्जेल थापि-रहेकी ठुलो झेल ॥


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'''कविता-'''
'''कविता–'''
:भद्दा अवनतिकारी रसिया जस्ता किताबका भारी ।
:भद्दा अवनतिकारी रसिया जस्ता किताबका भारी ।
:दिन दिन बढ्दा देखी अघोर मनमा उठ्यो सेखी ॥
:दिन दिन बढ्दा देखी अघोर मनमा उठ्यो सेखी ॥


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'''कवि-'''
'''कवि–'''
:शिक्षा विचारशाली लेखनु मिहिनेत मात्र हो खालि ।
:शिक्षा विचारशाली लेखनु मिहिनेत मात्र हो खालि ।
:गर्दछ को रुचि यसमा, छन्‌ सब बोक्रे कथा-रसमा ॥
:गर्दछ को रुचि यसमा, छन्‌ सब बोक्रे कथा-रसमा ॥
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Latest revision as of 16:47, 21 June 2025

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(२९)
कवि–
भाषामा उपदेश लेखिदिनाले स्वयं बुढो देश ।
लिन सक्तछ शुभ शिक्षा मागनुपर्दैन अन्त गै भिक्षा ॥

(३०)
कविता–
गर झगडा सब माफ, बल्ल सुनायौ मिठा कुरा साफ ।
देश सुधारन भाषा कुञ्जि छ यो काखमा खासा ॥

(३१)
कवि–
भाषाका गुणधारा मालुम मनमा छँंदाछँदै सारा ।
किन तिमी येतिञ्जेल थापि-रहेकी ठुलो झेल ॥

(३२)
कविता–
भद्दा अवनतिकारी रसिया जस्ता किताबका भारी ।
दिन दिन बढ्दा देखी अघोर मनमा उठ्यो सेखी ॥

(३३)
कवि–
शिक्षा विचारशाली लेखनु मिहिनेत मात्र हो खालि ।
गर्दछ को रुचि यसमा, छन्‌ सब बोक्रे कथा-रसमा ॥