Page:Lalitya bhag 1 ra 2.pdf/62: Difference between revisions
Appearance
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 2: | Line 2: | ||
<poem> | <poem> | ||
{{pcn|(२४)}} | {{pcn|(२४)}} | ||
''' | '''कविता–''' | ||
:व्यासजिका लेख जति हेरी हेरी सफा गराइ मति । | :व्यासजिका लेख जति हेरी हेरी सफा गराइ मति । | ||
:पाएछौ खुप सार, भँडुवा ग्रामीण शृङ्गार ॥ | :पाएछौ खुप सार, भँडुवा ग्रामीण शृङ्गार ॥ | ||
{{pcn|(२५)}} | {{pcn|(२५)}} | ||
''' | '''कवि–''' | ||
:हितकारी जो छ खडा गर्नु उसैका समीपमा झगडा । | :हितकारी जो छ खडा गर्नु उसैका समीपमा झगडा । | ||
:अनि सब होला जाती सिँगारियौली भलीभाँती ॥ | :अनि सब होला जाती सिँगारियौली भलीभाँती ॥ | ||
{{pcn|(२६)}} | {{pcn|(२६)}} | ||
''' | '''कविता–''' | ||
:जसले लेखनशैली बिगारनाले भएँ बडी मैली । | :जसले लेखनशैली बिगारनाले भएँ बडी मैली । | ||
:उही मेरो हितकारी !! धन्य महात्मा दयाधारी !! | :उही मेरो हितकारी !! धन्य महात्मा दयाधारी !! | ||
{{pcn|(२७)}} | {{pcn|(२७)}} | ||
''' | '''कवि–''' | ||
:झिकिकन संस्कृत-नेल, गराइ भाषाविषे ठुलो मेल । | :झिकिकन संस्कृत-नेल, गराइ भाषाविषे ठुलो मेल । | ||
:खेलाएँ | :खेलाएँ जसलाई शत्रु उसैको भएँ अरे हाइ !!! | ||
{{pcn|(२८)}} | {{pcn|(२८)}} | ||
''' | '''कविता–''' | ||
:झिकिकन संस्कृत-सारी मर्यादा अङ्गको मारी । | :झिकिकन संस्कृत-सारी मर्यादा अङ्गको मारी । | ||
:ननचाए उदर-दरी भरीभराऊ | :ननचाए उदर-दरी भरीभराऊ हुने कसरी ॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Latest revision as of 16:46, 21 June 2025
This page has been validated
(२४)
कविता–
व्यासजिका लेख जति हेरी हेरी सफा गराइ मति ।
पाएछौ खुप सार, भँडुवा ग्रामीण शृङ्गार ॥
(२५)
कवि–
हितकारी जो छ खडा गर्नु उसैका समीपमा झगडा ।
अनि सब होला जाती सिँगारियौली भलीभाँती ॥
(२६)
कविता–
जसले लेखनशैली बिगारनाले भएँ बडी मैली ।
उही मेरो हितकारी !! धन्य महात्मा दयाधारी !!
(२७)
कवि–
झिकिकन संस्कृत-नेल, गराइ भाषाविषे ठुलो मेल ।
खेलाएँ जसलाई शत्रु उसैको भएँ अरे हाइ !!!
(२८)
कविता–
झिकिकन संस्कृत-सारी मर्यादा अङ्गको मारी ।
ननचाए उदर-दरी भरीभराऊ हुने कसरी ॥