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त्यस्ती, सौदामिनी झैँ रुचिर-रुचि, ठुलो सिंहमाथी चढेकी | त्यस्ती, सौदामिनी झैँ रुचिर-रुचि, ठुलो सिंहमाथी चढेकी | ||
::साक्षात् अग्नि-स्वरूपा, विमल मुकुटमा | ::साक्षात् अग्नि-स्वरूपा, विमल मुकुटमा चन्द्ररेखा जडेकी ॥ | ||
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श्री दुर्गा
(१)
जस्को हर्दम् खडा छन् अगलबगलमा सेविका दिव्य कन्या
पक्री तर्बार-खेट-द्वय दुइ करले, शौर्य-सौन्दर्य-धन्या ।
त्यस्ती, सौदामिनी झैँ रुचिर-रुचि, ठुलो सिंहमाथी चढेकी
साक्षात् अग्नि-स्वरूपा, विमल मुकुटमा चन्द्ररेखा जडेकी ॥
(२)
आठोटा बाहुलीमा नियम-सित सदा शङ्ख-चक्राऽऽदि धर्दी
आकारैले विरोधी शठ रिपुकुलमा भीति-सञ्चार गर्दी ।
दुर्गा देवी त्रिनेत्रा त्रिभुवन जननीबाट कल्याण-धारा
वर्षोस् भन्दै झुकाई शिर, पदयुगमा नित्य गर्छू पुकारा ॥