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Page:Shakuntala.pdf/13: Difference between revisions

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'''(वियोगिनी)'''
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सुन मिष्ठकथा सुवासिनी
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::मृदुमाधुर्यविलासमोहिनी ।
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वनशीतलवारिवाहिनी
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वसुधा हरियो गरी सुधा  
वसुधा हरियो गरी सुधा-
::जल छम्की बहुरङ्ग-सम्पदा ।
::जल छम्की बहुरङ्ग-सम्पदा ।
युगनाममिलिन्दगुञ्जिनी
युगनाममिलिन्दगुञ्जिनी
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कलिकल्मषहीन कालिनी
कलिकल्मषहीन कालिनी
::कनकाभा छ उषा चिरन्तिनी
::कनकाभा छ उषा चिरन्तनी
ऋषिजीवनले रमाइली  
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Latest revision as of 09:22, 12 June 2025

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(वियोगिनी)
सुन मिष्ठकथा सुवाषिणी,
मृदुमाधुर्यविलासमोहिनी ।
वनशीतलवारिवाहिनी
शिवसत्‌सुन्दरतानिनादिनी ॥
(४१)

सुन कोविदकालिदासको
कलकल्लोलकलास्वलङ्कृता ।
रचनाप्रतिबिम्बिनी कथा
सब यो भारतको प्रिय-ज्यथा ॥
(४२)

वसुधा हरियो गरी सुधा-
जल छम्की बहुरङ्ग-सम्पदा ।
युगनाममिलिन्दगुञ्जिनी
छ नदी झैँ कुसुमायना कथा ॥
(४३)

मरुपान्थ ! नदी छ शीतल
पसिना सुक्न ! सुगन्ध-मञ्जुल ।
मृदु वन्य हवा हिलाउँछ
जलकल्लोल प्रसन्न मञ्जरी ॥
(४४)

हिँड सुन्दरको विदेशमा
चिडिया आज बनूँ उडी त्यहाँ ।
ढकमक्क सुगन्ध छाउने,
वनमा नीड रचेर गाउने ॥
(४५)

कलिकल्मषहीन कालिनी
कनकाभा छ उषा चिरन्तनी ।
ऋषिजीवनले रमाइली
छ हरा शावकको वनस्थली ॥
(४६)