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म पनी मुनि-वाक्य-माधुरी- | म पनी मुनि-वाक्य-माधुरी- | ||
::मुहुनीको वश बेसरी | ::मुहुनीको वश बेसरी परी । | ||
चुपचाप | चुपचाप थियेँ शनै: शनै: | ||
::फिर निस्के मुनिका कुरा | ::फिर निस्के मुनिका कुरा उनै ॥ | ||
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बित्यो वर्षा, प्यारो जलन | बित्यो वर्षा, प्यारो जलन जल-धारा छरिछरी | ||
::हरी | ::हरी ग्रीष्म-ज्वाला, सकल पृथिवी शीतल गरी । | ||
पखेरामा लागी तुहिनगिरिको शङ्कर सरी | पखेरामा लागी तुहिनगिरिको शङ्कर सरी | ||
::बस्यो यद्वा लेट्यो सुखमय हँसीलोपन | ::बस्यो यद्वा लेट्यो सुखमय हँसीलोपन धरी ॥ | ||
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कुवा, | कुवा, खोला-नाला, सर, दह तथा ताल, तटिनी | ||
::सबै सङ्ले झल्के, अति विमल ऐनामय | ::सबै सङ्ले, झल्के, अति विमल ऐनामय बनी । | ||
जहाँ हेर्दा नीलो गगनतल चुर्लुम्म सकल | जहाँ हेर्दा नीलो गगनतल चुर्लुम्म सकल | ||
::डुबेको देखिन्थ्यो | ::डुबेको देखिन्थ्यो मुनि-मन सरी स्वच्छ विमल ॥ | ||
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Latest revision as of 17:18, 6 June 2025
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तृतीय विश्राम
१
म पनी मुनि-वाक्य-माधुरी-
मुहुनीको वश बेसरी परी ।
चुपचाप थियेँ शनै: शनै:
फिर निस्के मुनिका कुरा उनै ॥
२
बित्यो वर्षा, प्यारो जलन जल-धारा छरिछरी
हरी ग्रीष्म-ज्वाला, सकल पृथिवी शीतल गरी ।
पखेरामा लागी तुहिनगिरिको शङ्कर सरी
बस्यो यद्वा लेट्यो सुखमय हँसीलोपन धरी ॥
३
कुवा, खोला-नाला, सर, दह तथा ताल, तटिनी
सबै सङ्ले, झल्के, अति विमल ऐनामय बनी ।
जहाँ हेर्दा नीलो गगनतल चुर्लुम्म सकल
डुबेको देखिन्थ्यो मुनि-मन सरी स्वच्छ विमल ॥