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Latest revision as of 12:26, 25 May 2025
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किसान
१
टाढा कुनातिर कतै रमणीय ठाउँ
जस्को म जान्दिनँ यही भनि नाउँ गाउँ ।
झुप्रो छ एक जसमाथि फुलेर आरु
सौन्दर्य आउँछ बिचित्र, पवित्र चारु ॥
२
बस्छन् त्यहाँ हृदय शुद्ध जहान चार
सन्तोष काख अति हृष्ट र पुष्ट दार ।
बस्छन् त्यहाँ प्रकृतिका शिशुतुल्य चार
हेरेर भीर भर सुन्दरता अपार ॥
३
चल्छिन् सहर्ष सरिता परि नागबेली
टाढा छ मर्मर मिठो जल जान्छ खेली ।
बारीभरी छ हरिया, कलिलो पलाई
देखेर छाति भरिने सुख भो मलाई ॥