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स्वर्ग छैन दूर धेर । | स्वर्ग छैन दूर धेर । | ||
::खालि थोर | ::खालि थोर शैलपार ॥ | ||
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खालि नील त्यै किनार । | खालि नील त्यै किनार । | ||
::वारिवाह | ::वारिवाह वेश्मसार ॥ | ||
झल्ल झिल्ल कान्तिदार । | झल्ल झिल्ल कान्तिदार । | ||
::एक रोज | ::एक रोज पङ्ख पार ॥ | ||
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ती कुरङ्ग-नेत्रदार । | ती कुरङ्ग-नेत्रदार । | ||
::मार- | ::मार-प्रेयसी मुहार ॥ | ||
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न । | पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न । | ||
:: | ::आश प्रेरित-प्रकार ॥ | ||
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दीर्घ-कोणदार दृष्टि- | दीर्घ-कोणदार दृष्टि- | ||
::मा | ::मा प्रसन्नता थपेर ॥ | ||
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न । | पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न । | ||
::छन् प्रयत्नशील हेर ॥ | ::छन् प्रयत्नशील हेर ॥ | ||
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कामदार छन् किसान । | कामदार छन् किसान । | ||
:: | ::खेतबीच अन्न खान ॥ | ||
अन्नका पितासमान । | अन्नका पितासमान । | ||
::ली खनित्र चित्रमान ॥ | ::ली खनित्र चित्रमान ॥ | ||
अल्प चाहले प्रसन्न । | |||
:: | ::स्मेर शान्तितुल्य धन्य ॥ | ||
मृत्तिका-सिँगार-जन्य । | मृत्तिका-सिँगार-जन्य । | ||
::कर्म-वीर कीर्ति-गण्य ॥ | ::कर्म-वीर कीर्ति-गण्य ॥ | ||
मेदिनी-प्रतोष- | मेदिनी-प्रतोष-पुत्र । | ||
::स्वेददार | ::स्वेददार सच्चरित्र ॥ | ||
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Latest revision as of 21:59, 24 May 2025
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सोचदार सम्झना र ।
सूक्ष्म त्रास दूर लार ॥
स्वर्ग छैन दूर धेर ।
खालि थोर शैलपार ॥
(५)
खालि नील त्यै किनार ।
वारिवाह वेश्मसार ॥
झल्ल झिल्ल कान्तिदार ।
एक रोज पङ्ख पार ॥
(६)
ती कुरङ्ग-नेत्रदार ।
मार-प्रेयसी मुहार ॥
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
आश प्रेरित-प्रकार ॥
(७)
दीर्घ-कोणदार दृष्टि-
मा प्रसन्नता थपेर ॥
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
छन् प्रयत्नशील हेर ॥
(८)
कामदार छन् किसान ।
खेतबीच अन्न खान ॥
अन्नका पितासमान ।
ली खनित्र चित्रमान ॥
अल्प चाहले प्रसन्न ।
स्मेर शान्तितुल्य धन्य ॥
मृत्तिका-सिँगार-जन्य ।
कर्म-वीर कीर्ति-गण्य ॥
मेदिनी-प्रतोष-पुत्र ।
स्वेददार सच्चरित्र ॥