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Page:Shakuntala.pdf/256: Difference between revisions

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सोचदार॒ सम्झना र ।
सोचदार सम्झना र ।
::सूष्म त्रास दूर लार ॥
::सूक्ष्म त्रास दूर लार ॥
स्वर्ग छैन दूर धेर ।
स्वर्ग छैन दूर धेर ।
::खालि थोर ऐौलपार
::खालि थोर शैलपार
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खालि नील त्यै किनार ।
खालि नील त्यै किनार ।
::वारिवाह वेशमसार
::वारिवाह वेश्मसार
झल्ल झिल्ल कान्तिदार ।
झल्ल झिल्ल कान्तिदार ।
::एक रोज पड्ख पार ॥
::एक रोज पङ्ख पार ॥
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ती कुरङ्ग-नेत्रदार ।
ती कुरङ्ग-नेत्रदार ।
::मार-प्रेयती मुहार ॥
::मार-प्रेयसी मुहार ॥
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
::आगा प्रेरित-प्रकार ॥
::आश प्रेरित-प्रकार ॥
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दीर्घ-कोणदार दृष्टि-
दीर्घ-कोणदार दृष्टि-
::मा प्रसख्नता घपेर
::मा प्रसन्नता थपेर
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
::छन्‌ प्रयत्नशील हेर ॥
::छन्‌ प्रयत्नशील हेर ॥
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कामदार छन्‌ किसान ।
कामदार छन्‌ किसान ।
::खेतगीच अन्न खान ॥
::खेतबीच अन्न खान ॥
अन्नका पितासमान ।
अन्नका पितासमान ।
::ली खनित्र चित्रमान ॥
::ली खनित्र चित्रमान ॥
भ्ल्प चाहइले प्रसन्न ।
अल्प चाहले प्रसन्न ।
::' स्मैेर गशान्तितुल्य धन्य ॥
::स्मेर शान्तितुल्य धन्य ॥
मृत्तिका-सिँगार-जन्य ।
मृत्तिका-सिँगार-जन्य ।
::कर्म-वीर कीर्ति-गण्य ॥
::कर्म-वीर कीर्ति-गण्य ॥
मेदिनी-प्रतोष-पुख॒
मेदिनी-प्रतोष-पुत्र
::स्वेददार सञ्चरित्र
::स्वेददार सच्चरित्र
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Latest revision as of 21:59, 24 May 2025

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सोचदार सम्झना र ।
सूक्ष्म त्रास दूर लार ॥
स्वर्ग छैन दूर धेर ।
खालि थोर शैलपार ॥
(५)

खालि नील त्यै किनार ।
वारिवाह वेश्मसार ॥
झल्ल झिल्ल कान्तिदार ।
एक रोज पङ्ख पार ॥
(६)

ती कुरङ्ग-नेत्रदार ।
मार-प्रेयसी मुहार ॥
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
आश प्रेरित-प्रकार ॥
(७)

दीर्घ-कोणदार दृष्टि-
मा प्रसन्नता थपेर ॥
पक्ष्म-जाल क्यै उचाल्न ।
छन्‌ प्रयत्नशील हेर ॥
(८)

कामदार छन्‌ किसान ।
खेतबीच अन्न खान ॥
अन्नका पितासमान ।
ली खनित्र चित्रमान ॥
अल्प चाहले प्रसन्न ।
स्मेर शान्तितुल्य धन्य ॥
मृत्तिका-सिँगार-जन्य ।
कर्म-वीर कीर्ति-गण्य ॥
मेदिनी-प्रतोष-पुत्र ।
स्वेददार सच्चरित्र ॥