Page:Buddhi binod.pdf/10: Difference between revisions
Appearance
No edit summary |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Page status | Page status | ||
- | + | Validated | |
Page body (to be transcluded): | Page body (to be transcluded): | ||
Line 2: | Line 2: | ||
<poem> | <poem> | ||
प्रजा धरामा धरणी फणीशमा | प्रजा धरामा धरणी फणीशमा | ||
फणीश पानी-बिच पानी हो कहाँ ? | फणीश पानी-बिच, पानी हो कहाँ ? | ||
मिलेन विश्रान्ति जवाब हो कुन ? | मिलेन विश्रान्ति जवाब हो कुन ? | ||
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३४॥ | तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३४॥ | ||
Line 11: | Line 11: | ||
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३५॥ | तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३५॥ | ||
जगत्-व्यवस्था जसमा छ सन्तत | |||
उनै स्वयं कृष्ण पराङ्गना-रत | उनै स्वयं कृष्ण पराङ्गना-रत । | ||
कहाँ गयो उत्कट वेद-बन्धन | कहाँ गयो उत्कट वेद-बन्धन ? | ||
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३६॥ | तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३६॥ | ||
घसी खरानी शिरमा जटा धरी | घसी खरानी शिरमा जटा धरी | ||
श्मशानमा नित्य बनी दिगम्बरी | श्मशानमा नित्य बनी दिगम्बरी । | ||
लडीरहेका शिव हो अहो ! किन | लडीरहेका शिव हो अहो ! किन ? | ||
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३७॥ | तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३७॥ | ||
विलासिनी दिव्य अनन्त अप्सरा | विलासिनी दिव्य अनन्त अप्सरा | ||
छँदाछँदै यौवन-भार मन्थरा । | छँदाछँदै यौवन-भार मन्थरा । | ||
फसे अहिल्यासित इन्द्र गै किन ? | |||
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३८॥ | तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३८॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
<noinclude>{{end center block}}</noinclude> | <noinclude>{{end center block}}</noinclude> |
Latest revision as of 15:49, 19 April 2025
This page has been validated
प्रजा धरामा धरणी फणीशमा
फणीश पानी-बिच, पानी हो कहाँ ?
मिलेन विश्रान्ति जवाब हो कुन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३४॥
जमाउने सृष्टि सदा चतुर्मुख
उडाउने शङ्कर सृष्टिको सुख ।
हुँदैन होला झगडा अहो ! किन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३५॥
जगत्-व्यवस्था जसमा छ सन्तत
उनै स्वयं कृष्ण पराङ्गना-रत ।
कहाँ गयो उत्कट वेद-बन्धन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३६॥
घसी खरानी शिरमा जटा धरी
श्मशानमा नित्य बनी दिगम्बरी ।
लडीरहेका शिव हो अहो ! किन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३७॥
विलासिनी दिव्य अनन्त अप्सरा
छँदाछँदै यौवन-भार मन्थरा ।
फसे अहिल्यासित इन्द्र गै किन ?
तँलाइ मालुम् छ कि यो कुरा मन ? ॥३८॥